आयुष्मान भारत की राहें पे मुश्किल कई ; बड़े अस्पताल नहीं हो रहे सहमत

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स्वदेश विचार-नईदिल्ली(३१/८) : सरकार एक तरफ 25 सितंबर को आयुष्मान भारत लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर चुकी है, वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट अस्पतालों को लेकर स्थिति अब भी साफ नहीं हो रही है. भले ही अस्पतालों ने प्रॉसेस शुरू कर दिया है, लेकिन अब भी अस्पताल पैकेज और चार्जेस को लेकर संतुष्ट नहीं हैं.  जब कई बड़े अस्पताल ग्रुप से बातचीत हुआ तो उनका साफ कहना था कि शुरुआत में भले ही वे इस स्कीम के लिए आगे बढ़ेंगे लेकिन लंबे समय तक इसी पैकेज के साथ चलना बहुत मुश्किल है. सरकार को इन पैकेज के बारे में दोबारा सोचना ही होगा. इसपर आयुष्मान के सीईओ इंदु भूषण ने कहा कि फिक्की की ओर से पैकेजेस पर एक रिपोर्ट दी गई है. सरकार इसपर विचार मंथन करेगी.

अपोलो अस्पताल की ज्वाइंट एमडी संगीता रेड्डी ने कहा कि हम इस स्कीम का स्वागत करते हैं. हमारे चेयरमैन का भी यही सपना था कि हम हर किसी वर्ग के लोगों को स्वास्थ की सुविधा दे पाएं, लेकिन बात अगर पैकेज की कर रहे हैं तो क्वालिटी सर्विस भी बहुत जरूरी है. ऐसे में पैकेज को लेकर शायद सरकार को एक बार सोचना ही चाहिए.

नयति हेल्थग्रुप जिसके अस्पताल आगरा, दिल्ली और मथुरा में है उनके चेयरमैन राज के मणि का भी कहना है कि स्कीम अच्छी है लेकिन पैकेजेस प्रैक्टिकल नहीं हैं. हमें आगे जाकर दिक्कत होगी.  प्राइवेट में बहुत खर्चा होता है. कैलाश अस्पताल के मैनेजमेंट ने भी साफ कहा कि स्कीम को लागू भले कर लेंगे लेकिन इसे चलाना बहुत मुश्किल है या तो अस्पताल सीएसआर के पैसे से ही इसका खर्चा निकालेगी या कोई और रास्ता नहीं है.

कुछ बड़े लैब्स और डायगोनेस्टिक सेंटर्स से जब हमने बात की, क्योंकि उनकी भूमिका भी इस स्कीम में बराबर रहेगी. ऐसे में डॉक्टर लालपैथ और मेट्रोपॉलिस का कहना है कि इसके लिए वे एक स्पेशल विंग बना रहे हैं. ये विंग इस स्कीम को लागू करने से लेकर हर चीज की देखरेख करेगी. इस विंग में 8-10 लोग होंगे जो आयुष्मान के पैकेजेस पर काम करेंगे.

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