पटना। बिहार में लालू का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाई है, लेकिन प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के साथ ही कई मौकों पर नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से इतर अपना रुख दिखाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी, जिसे मोदी सरकार की काफी बड़ी योजना के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की इस नीति को प्रदेश में अपनाने से इनकार कर दिया है। नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना से इतर खुद की योजना शुरू करने का फैसला लिया और किसानों को बिना कोई प्रीमियम दिए बीमा देने का फैसला लिया है।
नीतीश कुमार की इस योजना की खास बात यह भी है कि इस योजना के तहत किसानों के एक बड़े वर्ग को इसके दायरे में लाने की कोशिश की गई है। दिलचस्प बात यह है कि बिहार सरकार में कृषि मंत्री प्रेम कुमार जोकि खुद भाजपा से हैं उन्होंने नीतीश सरकार के इस फैसले का बचाव किया है। केंद्र सरकार की योजना के तहत राज्य और केंद्र को 49-49 फीसदी प्रीमियम की लागत को वहन करना होता है, जबकि बाकी का 2 फीसदी किसानों को वहन करना होता है। केंद्र सरकार की योजना के तहत यह भुगतान राज्यों को बीमा कंपनियों को करना होता है
बिहार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अतुल प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2016 में खरीफ के मौसम में बिहार की ओर से कुल 495 करोड़ रुपए का भुगतान इस योजना के तहत किया गया, जबकि किसानों को 221 करोड़ रुपए फसल को हुए नुकसान के तौर पर मिला। यहां गौर करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार की इस योजना से किसानों को अपेक्षाकृत कम लाभ हुआ, लेकिन बिहार सरकार की नई योजना किसानों के हर वर्ग को लाभ पहुंचाएगी।