केंद्र सरकार अब सीधे नौकरशाह बनाने की तैयार कर रही है. सरकार की इस योजना के बाद प्राइवेट क्षेत्र में नौकरी कर रहे योग्य उम्मीदवार सिविल सर्विसेज परीक्षा पास किए बिना ही बड़े अधिकारी बन सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है मोदी सरकार का फैसला और उस फैसले से जुड़ी 10 बड़ी बातें.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के टैलेंट को महत्व देते हुए 10 जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसके माध्यम से योग्य उम्मीदवारों से इन पदों के लिए नौकरी के आवेदन स्वीकार किए गए हैं.
इन उम्मीदवारों की नियुक्ति लैटरल एंट्री के माध्यम से होगी. इससे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में काम कर रहे लोग भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा दिए बिना ही नियुक्ति किए जाएंगे. ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी. लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया. फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई. लेकिन पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई. सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार इन पदों के लिए वो लोग अप्लाई कर सकते हैं, जिनकी उम्र 1 जुलाई तक 40 साल हो गई है और उम्मीदवार का किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होना आवश्यक है. वहीं उम्मीदवार को किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव होना भी आवश्यक है.
इन पदों पर चयनित होने वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति तीन साल तक के लिए की जाएगी और सरकार इस कॉन्ट्रेक्ट को पांच साल तक बढ़ा भी सकती है. बता दें कि इन पदों के लिए प्रोफेशनल उम्मीदवार ही अप्लाई कर सकते हैं.
मोदी सरकार इन पदों पर चयनित होने वाले उम्मीदवारों को 1.44 लाख से 2.18 रुपये प्रति महीना सैलरी देगी और इस सैलरी के साथ उम्मीदवारों को कई भत्ते और सुविधाएं भी सरकार की ओर से दी जाएंगी. साथ ही सरकारी योजनाओं और पॉलिसी को लागू करने में क्या क्या दिक्कत आती हैं, उनको योजनाओं को लागू करने से पहले इन एक्स्पर्ट जॉइंट सेक्रेटेरी के सुझावों के जरिए पहले ही दूर कर किया जाएगा.