कांग्रेस की रीढ़ तोड़ने वाली साबित होगी मोदी सरकार की यह योजना

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Bengaluru: Prime Minister Narendra Modi speaks during the completion of the Parivartan Yatra rally in Bengaluru on Sunday. PTI Photo by Shailendra Bhojak(PTI2_4_2018_000171B)

नई दिल्ली: लगभग सभी राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल जहां सत्ता में वापसी की कोशिश में है, वहीं सत्ताधारी बीजेपी के सामने दोबारा से सरकार बनाने की चुनौती है. विरोधी दलों के नेता जहां बीजेपी की मौजूदा सरकार की खामियां गिनाने में जुटे हैं, वहीं सत्ताधारी दल अपनी उपलब्धियां बता रहे हैं. आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में दोनों खेमा एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुटे हैं.

पिछले चार साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने देशहित को ध्यान में रखकर नोटबंदी, जीएसटी आदि कई बड़े फैसले लिए हैं. इनकी वजह से कई मौकों पर उन्हें जनता के गुस्से का भी सामना करना पड़ चुका है. अब सरकार के पास एक साल से भी कम वक्त बचा है, ऐसे में वह लोकलुभावन योजनाओं के जरिए जनसमर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है.

इसी कड़ी में मोदी सरकार वयोश्री योजना शुरू करने जा रही है. इसमें दो राय नहीं है कि इस योजना से देश की बड़ी आबादी को लाभ होगा. अगर इस योजना के राजनीतिक मायने निकाले जाएं तो कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. यानी कांग्रेस के वोट बैंक में बीजेपी सेंध लगा सकती है.

देश के वोटिंग पैटर्न पर नजर डालें तो एक आम निष्कर्ष निकलता है कि कांग्रेस के ज्यादातर वोटर उम्रदराज हैं, वहीं युवा वोटर बीजेपी के पक्ष में वोट करते हैं. ऐसे में कांग्रेस जहां राहुल गांधी के नेतृत्व में युवा वोटरों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी उम्रदराज वोटरों का विश्वास जीतने का प्रयास कर रही है.

साल 2014 में चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि उनकी सरकार चार साल तक वोट और चुनाव की उलझनों से दूर देशहित में फैसले लेगी. कार्यकाल के आखिरी साल में चुनाव पर ध्यान देगी और लोकलुभावन जैसे फैसले भी ले सकती है. मोदी सरकार के हाल के कुछ फैसलों पर नजर डालें तो पीएम मोदी के इस कथन की सत्यता की पुष्टि होती दिख रही है. जानकार वयोश्री योजना को भी इसी से जोड़कर देख रहे हैं.

आमतौर से देखा गया है कि उम्रदराज वोटरों का मन जल्दी नहीं बदलता है. अपेक्षाकृत युवा वोटरों के फैसलों में तेजी से बदलाव दिखता है. इसके साथ ही बुजुर्ग वोटर सरकार से सीधा लाभ पाने की मनोवृत्ति रखते हैं. क्योंकि इस उम्र में दौड़-धूप करना बुजुर्गों के लिए मुश्किल होता है.

शरीर के अंग कमजोर हो जाने पर उनके जीवन में कुछ चीजें जैसे सहारा लेकर चलने के लिए छड़ी, आंखें कमजोर होने पर चश्मा, कान कमजोर होने पर सुनने की मशीन आदि की जरूरत पड़ती ही है. कई बार पैसों की कमी के चलते बुजुर्ग इन सामनों को खरीद नहीं पाते हैं. बुजुर्गों की इन्हीं जरूरतों को ख्याल रखते हुए मोदी सरकार वयोश्री योजना शुरू करने जा रही है.                                                                                                                                                                                                                                                               इस योजना के तहत बुजुर्गों को चश्मा, छड़ी, ट्राई साइकिल, ट्राई मोटर और सुनने की मशीन आदि दी जा रही है. इसके तहत पहले चरण में योजना का दायरा 292 जिलों तक बढ़ेगा. अभी तक यह योजना प्रत्येक राज्य के सिर्फ दो-दो जिले में ही लागू है. योजना में शामिल किए गए नए जिलों में सभी पिछड़े जिले सहित ज्यादा एससी-एसटी आबादी वाले जिलों को शामिल किया गया है. अगले छह महीनों के भीतर करीब 100 जिलों में योजना को पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके लिए योजना से जुड़े एलिम्को (आर्टीफिशियल लिम्बस मैनुफैक्चरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया) को तेजी से काम करने को कहा गया है.

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