भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। भाजपा के जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने इस बात की जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।
ईद के बाद सीजफायर की अवधि आगे ना बढ़ाते हुए गृह मंत्रालय ने सेना को ऑपरेशन ऑल आउट फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी है। लेकिन आतंकी हमले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति की पहल के लिए आगे बढ़ने वालों को टारगेट किया जा रहा है। पत्रकार शुजात भी शांति और अमन की बात करते थे, जिन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन अब सेना ने भी आतंकियों को टारगेट करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये कार्रवाई और तेज होगी। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह राज्य में गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्री द्वारा आक्रामक कार्रवाई शुरू करने से पहले जम्मू कश्मीर मंत्रिमंडल में शामिल पार्टी के सभी मंत्रियों की राय लेना चाहते हैं।
दरअसल, केंद्र सरकार अभी तक मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सलाह पर ही कदम उठाती रही है, चाहे वह रमजान के दौरान सीजफायर का मसला हो या अलगाववादी धड़ा हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ वार्ता का मुद्दा हो। लेकिन मोदी सरकार अब कमान अपने हाथ में लेने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय अमरनाथ यात्रा को लेकर चिंतित है, जिसपर आतंकी हमले का साया मंडरा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह पार्टी के मंत्रियों से यह जानना चाहेंगे कि अगर हालात में सुधार होने की गुंजाइश बनती हो तो क्या जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया जाए। साथ ही पूछा जा सकता है कि राज्यपाल शासन लागू करने की वजह से सत्ताधारी पीडीपी से भाजपा के रिश्ते तो प्रभावित नहीं होंगे?