नई दिल्ली: दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करने के मामले में आरोपित महिला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि याची और उसके बेटे ने दहेज पाने के लिए पीड़िता को शारीरिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया। इसी वजह से उसने शादी के सात साल के अंदर ही खुदकशी कर ली।
न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि मृतक महिला की मां ने विशेष तौर पर याचिकाकर्ता (आरोपित सास) व उसके बेटे (आरोपित पति) के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है, जबकि परिवार में ससुर, एक अन्य बेटा और बेटी भी हैं। ऐसे में दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करने जैसे गंभीर मामले में याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं दिखाई देता।
मध्य जिले के आनंद पर्वत इलाके में स्थित नई बस्ती गली नंबर-16 में 27 मई 2018 को हेमलता ने फांसी लगाकर खुदकशी कर ली थी। महिला के पास से पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद किया था, जिसमें उसने लिखा था कि वह जिंदगी से परेशान होकर ऐसा कदम उठा रही है। महिला की मां की शिकायत पर उसके पति संदीप कुमार और सास चंद्रवती के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी।
शिकायत के बाद आरोपित पति को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन आरोपित सास चंद्रवती फरार है। आरोपित चंद्रवती (70) की तरफ से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर उसके वकील जोगिंदर तुली ने दलील दी कि याचिकाकर्ता पर झूठा आरोप लगाया गया है।
उन्होंने तर्क दिया कि सुसाइड नोट में याचिकाकर्ता का नाम नहीं है और घटना के दौरान वह शहर में भी नहीं थी। वहीं, दूसरी तरफ मृतका की मां की तरफ से सहायक अभियोजक रोशनी चौहान ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने शिकायत में विशेष तौर पर याचिकाकर्ता का नाम दिया है।