स्वदेश विचार-नईदिल्ली(१०/९) : पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। एक ओर आम जनता लगातार हो रही वृद्धि से परेशान है, तो दूसरा ओर विपक्ष भी सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस वृद्धि को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और आगामी 10 सितंबर को भारत बंद का भी ऐलान किया है। इस बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कर रहे हैं। पेट्रोल-डीज़ल की रोजाना आसमान छूती कीमतों से आम आदमी को जेब पर बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोगों का गुस्सा भी सरकार पर फूट रहा है। हालांकि पेट्रोलियम मंत्री ने इस कीमतों की वृद्धि के पीछे का कारण भी बताया।
- धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘आज अन्य मुद्राओं की तुलना में भारतीय मुद्रा हमेशा की तरह मजबूत है। लेकिन हम तेल कैसे खरीदते हैं? डॉलर के माध्यम से। आज डॉलर, एक तरह से, विश्व की सबसे मजबूत मुद्रा है। यह हमारे लिए समस्या पैदा कर रहा है।’ जिसका मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपये का गिरता कहीं न कहीं पेट्रोल-डीजल के दामों की बढ़ोतरी का एक कारण है।
- ईंधन कीमतों में कटौती के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा कि कोई सिर्फ उत्पाद शुल्क घटाकर इस मुद्दे का प्रभावी तरीके से हल नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि ईरान, वेनेजुएला और तुर्की जैसे देशों में राजनीतिक स्थिति की वजह से कच्चे तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
- धान ने आगे कहा कि वित्त मंत्री ने इस मुद्दे को पहले से ही स्पष्ट कर दिया है। बाजार में दो प्रमुख बाहरी कारकों के कारण यह स्थिति बनी हुई है। अमेरिकी डॉलर एक अद्वितीय और अपरिहार्य स्थिति बना रहा है जो दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा नहीं है।
- धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अब यह जरूरी हो गया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। दोनों अभी जीएसटी में नहीं हैं, जिससे देश को करीब 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाता है तो यह उपभोक्ताओं सहित सभी के हित में होगा।