स्वदेश विचार-नईदिल्ली(१८/०५) : लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव प्रचार का शोर थम गया है. रविवार 19 मई को आखिरी चरण की वोटिंग होगी. इससे पहले शनिवार 18 मई को पीएम मोदी भगवान शंकर के दर पर मत्था टेकने पहुंचे. केदारनाथ पहुंचे पीएम मोदी की खास ड्रेस लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई. चुनाव प्रचार थम गया है, लेकिन माना जा रहा है कि केदारनाथ में पीएम मोदी ने अपनी इस खास ड्रेस के माध्यम से पश्चिम बंगाल और हिमाचल को संदेश दे दिया है. रविवार को आखिरी चरण की वोटिंग में हिमाचल की 4 और बंगाल की 9 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
अगर पीएम मोदी की पारंपरिक ड्रेस को ध्यान से देखा जाए तो उन्होंने ‘खामोशी’ से पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश के वोटरों को साधा है. ये लिबास इन दोनों राज्यों की शख्सियत और उनकी पहचान से जुड़ा है. पीएम मोदी ने ग्रे कलर का पारंपरिक जोबा (Jobba) पहना हुआ था. अपनी कमर में उन्होंने केसरिया रंग का पट्टा बांधा हुआ था. उनके सिर पर हिमाचली टोपी इस परिधान को पूरा कर रही थी.
पीएम मोदी की हिमाचली टोपी उनकी इस पोशाक को पूरा कर रही थी. प्रधानमंत्री की इस पोशाक के बारे में ट्विटर पर बहस छिड़ गई. कुछ लोग तारीफ कर रहे थे ,तो कुछ लोग इस पर सवाल उठा रहे थे, लेकिन उन्हें जानने वाले मानते हैं कि वह उनका हर कदम सोचा समझा होता है. उनका हर कदम संकेत देता है. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पीएम मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद स्वीकार किया था कि हमारे प्रचार का एक एक कदम और रैली काफी सोच समझकर प्लान की गई है.
इस जोबा (Jobba) को फैशन में लाने का श्रेय नोबेल विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टेगौर को जाता है. इस जोबा की पहचान गुरुदेव के साथ जुड़ी हुई है. और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल की संस्कृति की शीर्ष शख्सियतों में से एक हैं. पीएम मोदी ने कमर में केसरिया रंग का पट्टा बांध रखा था. ये करीब-करीब वैसा ही था, जैसा अक्सर हम स्वामी विवेकानंद के चित्रों में उन्हें बांधे हुए देखते हैं. बंगाल की धरती से निकले स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को हिंदू दर्शन के एक नए रूप से परिचित कराया.