नई दिल्ली (23/6) : शांति का रास्ता एक बार फिर से हिंसा पर भारी पड़ा है. ओडिशा में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है. राज्य के मालकानगिरी जिले में 100 से ज्यादा नक्सलियों ने अपनी बंदूके छोड़ने का निर्णय लिया. लेकिन मुख्य धारा में आने के बाद उन्होंने एक ऐसा काम किया, जिससे हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. इन सभी नक्सली युवक और युवतियों ने अब पढ़ाई करने का निर्णय लिया है.
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अब डिग्री कोर्स में एडमिशन लेने जा रहे हैं. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के डिग्री कोर्स में एडमिशन लेने के लिए इन लोगों ने एंट्रेंस एग्जाम में हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने कहा, हम अब मुख्य समाज का हिस्सा बनने जा रहे हैं. इसलिए हमने इसकी शुरुआत यहां से की है.
इससे पहले सरकार देश के विभिन्न राज्यों में सक्रिय नक्सली गुटों से हथियार छोड़कर शांति के रास्ते पर लौटने की अपील कर चुकी हैं. कई राज्यों में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हथियार छोड़े भी हैं. लेकिन अभी भी ये देश की बड़ी संख्या बनी हुई है. रिपोर्ट तो यहां तक है कि आतंकी हमलों से ज्यादा अर्धसैनिक बल नक्सली हमलों का शिकार बनते हैं.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में 8 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. बस्तर जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर स्थित सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन के मुख्यालय में आठ नक्सलियों ने सीआरपीएफ और पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में जग्गु पोडियामी (59), बामन (32), लखमु (25), तेलगु (22), सन्नु (25), लालू (28), हिड़मा (23) और नवीन उर्फ लच्छु शामिल हैं. उन्होंने बताया कि नवीन आमदई घाटी एलओएस का सदस्य था.
अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली 2014 से संगठन के साथ थे. उनके खिलाफ रेल पटरी को नुकसान पहुंचाने और सड़क निर्माण में लगे वाहनों में आग लगाने के आरोप है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि उन्होंने माओवादियों की खोखली विचारधारा और हिंसा से त्रस्त होकर आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है. अब वह मुख्यधारा में शामिल होकर बेहतर जिंदगी जीना चाहते हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 10 हजार रुपए की नकदी, कपड़े और अन्य सामान प्रदान किया गया है. वहीं राज्य शासन की पुनर्वास नीति के तहत उनकी मदद की जाएगी.