स्वदेश विचार-नईदिल्ली(६/९) : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस के दिन शिक्षकों को नसीहत देते हुए कहा कि आप जिस विद्यालय में पढ़ाते हैं वहां अपने बच्चों को भी पढ़ाएं। इससे समाज में अच्छा संदेश जाएगा। सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपने बच्चों को कॉन्वेंट या फिर दूसरे स्कूलों में क्यों पढ़ाते हैं? हम सभी उसी सरकारी स्कूल से पढ़कर यहां तक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से शिक्षक पुरस्कार वितरण में भी बदलाव किया जाएगा। राज्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले शिक्षकों को अपना प्रजेंटेशन यहां देना होगा। उनके अच्छे कार्यों को दूसरे स्कूलों में भी लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री बुधवार को लोकभवन में राज्य अध्यापक पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के 34 शिक्षकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया। उच्च शिक्षा में सरस्वती पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों को तीन-तीन लाख व शिक्षकश्री पुरस्कार विजेताओं को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये दिए गए। माध्यमिक व बेसिक शिक्षकों को 25-25 हजार रुपये प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्र एवं सरस्वती की प्रतिमा दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा शिक्षक राष्ट्र व समाज का विधाता व निर्माता होता है। यूपी को यदि देश का नेतृत्वकर्ता बनना है तो उसमें शिक्षा जगत को अपने आपको तैयार करना होगा। इस समय शिक्षा जगत की सबसे बड़ी कमी यह है कि हम योग्य शिक्षक ही नहीं दे पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइमरी शिक्षा में 97 हजार पद खाली हैं जबकि कुछ लोग सरकार के विरोध में सिर मुंडवा रहे हैं। वे चाहते हैं कि बिना किसी कंपटीशन के यह पद नियम-कानून की धज्जियां उड़ाकर भर दिए जाएं। अनुशासनहीन समाज उज्जवल भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता है। शिक्षक केवल चार-पांच घंटे ही पढ़ाई करवाते हैं। बाकी समय भी उन्हें समाज को देना चाहिए। इसके लिए उन्हें समाज व मोहल्ले गोद लेने चाहिए।
योगी ने कहा कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों के शिक्षकों को सातवां वेतनमान दिया है। अब हम कुछ शर्तें भी जोड़ेंगे। उन्हें टारगेट देंगे। भारत का एक भी विश्वविद्यालय विश्व की रैकिंग में नहीं है। इसके लिए शिक्षकों को सार्थक पहल करनी होगी।