स्वदेशविचार-नई दिल्ली(२६/०९): सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस (Ayodhya Case) की 32वें दिन की सुनवाई शुरू होते ही गुरुवार को एक वकील ने कहा कि हमारा और निर्मोही अखाड़ा में आपस में ज़मीन के अधिकार को लेकर झगड़ा है, हमको भी सुना जाए. मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम क्या रोज़-रोज़ इसकी सुनवाई करते रहेंगे? क्या हम मेरे रिटायरमेंट के आखिरी दिन तक इसकी सुनवाई करेंगे. आज सुनवाई का 32 वां दिन है और आप अब कह रहे हैं कि आपको भी सुना जाए. मुख्य न्यायाधीश ने सुनने से इनकार कर दिया. उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं.
इससे पहले CJI ने सभी पक्षकारों से कहा कि इस बात का ध्यान रखना होगा कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए. मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा के बाद शेखर नाफड़े को भी बहस करना है. उसके बाद हिंदू पक्ष को जवाब भी देना है.
CJI ने दोनों पक्षकारों से पूछा कि बताइए कि आप लोग कैसे अपनी जिरह पूरी करेंगे. सभी पक्षों से निर्धारित समय तक दलील देने का समय उन्होंने मौखिक तौर पर स्पष्ट किया.
ASI की रिपोर्ट पर बहस
आज भी मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने दलीलें रखीं. मीनाक्षी अरोड़ा ASI की खुदाई की रिपोर्ट पर मुस्लिम पक्ष का रुख साफ कर रही हैं. कल उन्होंने अपनी दलीलों में ASI रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े किए थे. आज मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकता है. वहां ASI की खुदाई मे मिले दीवारों के अवशेष ईदगाह के हो सकते है.
जस्टिस अशोक भूषण ने इस पर टोकते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष का तो ये मानना रहा है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई. लेकिन अब आप कह रही हैं कि उसके नीचे ईदगाह था? अगर ऐसा था तो आपकी याचिका में ये शामिल क्यों नही था? मीनाक्षी अरोड़ा ने जवाब दिया कि 1961 में जब हमने केस दायर किया तब ये मुद्दा ही नहीं था. ये बात तो 1989 में सामने आई जब हिन्दू पक्ष ने मुकदमा दायर कर दावा किया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. मेरी इस वक्त की जिरह रिपोर्ट पर आधारित है. मेरे कहने का मतलब है कि जब ये कहा जा रहा है कि दीवारें मंदिर की हो सकती हैं तो ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि ये दीवारें ईदगाह की हैं.