नई दिल्ली [जेएनएन]। चीन को लेकर भारतीय विदेश नीति में शायद ही कोई ऐसा मौका आया होगा जब कदम भारत ने उठाया हो और प्रतिक्रिया चीन में हो रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा के दौरान ड्रैगन की प्रतिक्रिया भी कुछ इसी तरह की है। जिस तरह से इंडोनेशिया ने भारत को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सबांग बंदरगाह के आर्थिक और सैन्य इस्तेमाल की मंजूरी दी है, उससे चीन के हुक्मरानों में खलबली मच गई। इसे चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर ड्रैगन की इस चिंता के मूल में क्या छिपा है।
सबांग बंदरगाह पर ड्रैगन की दृष्टि
दरअसल, इंडोनेशिया का सबांग बंदरगाह अपनी भौगोलिक खासियत के कारण सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह द्वीप सुमात्रा के उत्तरी छोर पर है और मलक्का स्ट्रैट के भी करीब है। यदि सामरिक लिहाज से देखा जाए तो सबांग द्वीप के इस बंदरगाह की गहराई करीब 40 मीटर है। इतनी गहराई में पनडुब्बियों समेत हर तरह के सैन्य जहाजों को यहां आसानी से उतारा जा सकता है। इसके लिए यह बंदरगाह बहुत उपयुक्त माना जाता है। चीनी विस्तारवादी नीति के कारण आरंभ से ही चीन की नजर इस बंदरगाह पर टिकी है।