प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान शहर में मोदी की मेजबानी की थी और अनौपचारिक बातचीत में पर्सनल केमिस्ट्री पर खास जोर दिया गया था. वुहान में दोनों देशों की कोशिश ये थी कि तनाव के मुद्दों की वजह से रिश्ते खराब न हो पाएं, दुनिया ने क्विंगदाओ में इस कोशिश को और आगे बढ़ते देखा.
इस बार पीएम मोदी ने चीन का दौरा एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए किया जिसमें पहली बार भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ. रूस-चीन, ईरान के अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है. सुरक्षा से ज्यादा इस संगठन का जोर आर्थिक सहयोग पर है. ये दोनों मुलाकातें काफी अहम हैं, खासकर डोकलाम तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के मद्देनजर. पिछले साल डोकलाम में सड़क निर्माण से उपजे तनाव ने युद्ध जैसे हालात उत्पन्न कर दिए थे. एशिया के दो सबसे बड़े और परमाणु संपन्न देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहे थे. परमाणु युद्ध तक की धमकियां दी जा रही थीं.
डोकलाम तनाव को कम करने के लिए मोदी और जिनपिंग ने कूटनीति का सहारा लिया. साथ ही दोनों नेताओं की पर्सनल केमिस्ट्री भी काफी मददगार साबित हुई. पिछले चार साल में दोनों नेता 14 बार मिल चुके हैं. इस साल कम से कम 4 और सम्मेलनों में मुलाकातें होंगी. साथ ही जिनपिंग ने अगले साल भारत दौरे का न्योता भी स्वीकार किया है. इससे पहले सितंबर 2014 में जिनपिंग भारत आए थे. पीएम मोदी ने अहमदाबाद में उनकी अगवानी की थी.
भारत-चीन के संबंध आर्थिक ज्यादा हैं. चीन ने जहां भारत में 160 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, वहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. भारत-चीन ने 2020 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें भारत की चिंता 51 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर थी. इसके मद्देनजर चीन ने भारत से अनाज, चीनी, अन्य कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसे व्यापार असंतुलन की भारत की चिंता के मद्देनजर बड़ा कदम माना जा रहा है.
भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. आए दिन तनाव के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देश जल्द ही हॉटलाइन संपर्क शुरू करने जा रहे हैं. साथ ही वुहान में दोनों नेताओं के बीच अपनी-अपनी सेनाओं को स्ट्रैटेजिक गाइडेंस जारी करने और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी स्ट्रैटेजिक मेकेनिज्म मजबूत करने पर सहमति बनी थी. एससीओ बैठक से इतर हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेता सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे.