न्यायपालिका में एससी-एसटी को आरक्षण देना चाहती है सरकार : रविशंकर प्रसाद

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स्वदेश विचार-नईदिल्ली(२६/१२) : केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद न्यायपालिका में एससी-एसटीजजों को आरक्षण देने की बात की है. अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन (एनजेएसी) के गठन को असंवैधानिक बताने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि सरकार न्यायपालिका में एससी-एसटी जजों को आरक्षण देना चाहती है. उन्होंने कहा कि वह इस बात की हिमायत करते हैं कि भविष्य की न्यायिक व्यवस्था में उच्च कोटि के न्यायमूर्तियों की ही नियुक्ति हो.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनजेएसी पर हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को माना लेकिन इस पर हमारा मतभेद है. 50 फीसदी से ज्यादा राज्यों की मंजूरी के साथ हमने एनजेएसी एक्ट को संसद में पारित किया. आपको बता दें कि सरकार ने जजों की नियुक्ति व तबादलों के लिए एनजेएसी) एक्ट बनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था.

साथ ही उन्होंने राम मंदिर केस की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग भी की. उनका कहना है कि जब सबरीमाला मामले की सुनवाई 6 महीने में और अर्बन नक्सल का केस दो महीने में पूरा हो सकता है तो रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस 70 साल से क्यों अटका पड़ा है. उन्होंने इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की अपील की.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राम लला मामले में कोर्ट में सुनवाई क्यों नहीं हो रही इसका मेरे पास कोई उत्तर नहीं है. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि जल्द से जल्द इसपर फैसला आ सके. इस समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी भी मौजूद थे.

उन्होंने कहा कि मैं कानून मंत्री होने के नाते नहीं बल्कि भारत के एक आम नागरिक के रूप में अपील करता हूं कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह की जाए. इस मामले में इतने सबूत हैं कि इसपर अच्छी बहस हो सके. उन्होंने कहा कि जब अडल्ट्री कानून की सुनवाई 6 महीने में, सबरीमाला केस 5-6 महीने में और अर्बन नक्सल केस दो महीने में पूरा हो सकता है. जब आतंकियों की फांसी को लेकर रात को दो बजे कोर्ट खुल सकता है तो रामजन्मभूमि पर जल्द सुनवाई क्यों नहीं हो सकती.

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